पाँव जमा है रावण का (कविता)- भगवत दुबे
सम्मानित हो रहे आज वे
लहू, गरीबों का जिनने
बेखौफ निचोड़ा है।
शिलालेख अपने लिखवाते,
रहा नहीं आँखों में पानी
शोषक शब्द हुआ अनुवादित
हरिश्चंद्र के जैसा दानी
विध्वंशक पथ पर
गांधी,...
मीडिया विमर्श (कविता)- मंगलेश डबराल
उन दिनों जब देश में एक नई तरह का बँटवारा हो रहा था
काला और काला और सफेद और सफेद हो रहा था
एक तरफ लोग...
यह धरती सबकी है-(बाल कहानी)- सत्यनारायण भटनागर
शेरू, स्वीटी और कालू अस्पताल क्षेत्र में स्थाई रूप से निवास करते हैं। शेरू खूंखार दिखता है। जब गुस्सा आता है, तब दहाड़ता है...
आलस्य-भक्त (व्यंग्य)- गुलाब राय
अजगर करै न चाकरी, पंछी करे न काम।
दास मलूका कह गए, सबके दाता राम ।।
प्रिय ठलुआ-वृंद! यद्यपि हमारी सभा समता के पहियों पर...
टैगोर और अंधी औरतें (कविता)- बोधिसत्व
बरस रहा था देर से पानी
भीगने से बचने के लिए मैं
रुका था दक्षिण कलकत्ता में
एक पेड़ के नीचे,
वहीं आए पानी से बचते-बचाते
परिमलेंदु बाबू।
परिमलेंदु बाबू
टैगोर...
घास की पुस्तक (कविता)- अर्सेनी तर्कोव्स्की
अरे नहीं, मैं नगर नहीं हूँ नदी किनारे कोई क्रेमलिन लिये
मैं तो नगर का राजचिह्न हूँ।
राजचिह्न भी नहीं
मैं उसके ऊपर अंकित तारा मात्र हूँ,
रात...
हम लड़ेंगे साथी : पाश
हम लड़ेंगे साथी, उदास मौसम के लिए
हम लड़ेंगे साथी, ग़ुलाम इच्छाओं के लिए
हम चुनेंगे साथी, ज़िन्दगी के टुकड़े
हथौड़ा अब भी चलता है, उदास निहाई...
हमारी अर्थी शाही हो नहीं सकती (कविता)- अनुज लुगुन
हमारे सपनों में रहा है
एक जोड़ी बैल से हल जोतते हुए
खेतों के सम्मान को बनाए रखना
हमारे सपनों में रहा है
कोइल नदी के किनारे एक...
अंधा बांटे रेवड़ी (व्यंग्य)- अरविंद कुमार खेड़े
'अंधा बाँटे रेवड़ी, अपने अपने को...' यह मुहावरा है लोकोक्ति? यह गुणी ज्ञानी-जनों का विषय है। मेरी समस्या दूसरी है। क्यों कि मैं गुणी-ज्ञानी...
आर्ट का पुल (कहानी) -फ़हीम आज़मी
पहले तो सारा इलाका एक ही था और उसका नाम भी एक ही था। इलाका बहुत उपजाऊ था। बहुत से बाग, खेत, जंगली पौधे,...